नारी
नारी
नारी तू नारायणी, है सबकी जीवनदायिनी
है शक्ति का स्वरूप भी,और मनु की कामायनी
तू निश्छल प्रेम की सुधा, नेह ही तुझमें छुपा
तू वीरता का प्रयाय है, मस्तक न जिसका कभी झुका
तू ज्ञान का स्त्रोत है, प्रचंड प्रखर सूर्य सा
तेरे ममत्व की छांव में, चांद की है शीतलता
तू संयम है संवेदना भी, है मर्यादा की परिभाषा
तू कोमल, सरल, सबल, निर्मल, नव सृजन की अभिलाषा
बहन और मां का स्नेह है कभी तू, कभी बेटी की चंचलता
कभी पत्नी का प्रेम मधुर, कभी सखी की व्याकुलता
कोई समझेगा क्या मर्म तेरा, तू सबकी मंगलदायनी
नारी तू नारायणी, है सबकी जीवनदायिनी
