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Deepak Meena

Abstract

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Deepak Meena

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मां

मां

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तेरे आंचल की छांव मिले, तो सौ जन्नत भी कुर्बान है

ममता के शहर का मां, तू महल आलीशान है

दुनिया के लिए तू मां है मेरी, पर मेरे लिए भगवान है


सूखे में मुझे सुलाकर, खुद गीले में सोती थी 

चोट मुझे लगती तो मां, तेरी आंखें भी रोती थी

है तुझसे मुकम्मल ये जीवन, तुझसे ही पहचान है

दुनिया के लिए तू मां है मेरी, पर मेरे लिए भगवान है


हाथों की खुशबू से अपने, खाने में स्वाद भर देती थी

राह से भटके हम कभी तो, डांट डपट भी देती थी

तुझमें ही दिखते सारे गीता वेद पुराण हैं

दुनिया के लिए तू मां है मेरी, पर मेरे लिए भगवान है


कुछ जो अच्छा हम कर दें, तो लाख बलैया लेती थी

जीवन में आगे बढ़ने की, अच्छी शिक्षा देती थी

तू ही प्रार्थना है सुबह की, तू ही सांझ की अज़ान है

दुनिया के लिए तू मां है मेरी, पर मेरे लिए भगवान है



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