न होता वो जलियाँवाला बाग हत्याकांड आप मानें। न होता वो जलियाँवाला बाग हत्याकांड आप मानें।
वो गोली थी बाहर से मीठी, पर अन्दर से कितनी खट्टी। वो गोली थी बाहर से मीठी, पर अन्दर से कितनी खट्टी।
मैंने उसको गोली जैसा चलते देखा। मैंने उसको गोली जैसा चलते देखा।
कभी थप्पड़ खा लेता हूँ कभी पत्थर भी चबा जाता हूँ.... भाई मान के गले लगाता हूँ तुम्हें हर बार समझान... कभी थप्पड़ खा लेता हूँ कभी पत्थर भी चबा जाता हूँ.... भाई मान के गले लगाता हूँ त...
जैसे धड़कन आपकी गुलाम हो गई हो जैसे। जैसे धड़कन आपकी गुलाम हो गई हो जैसे।