दौलत की ताक़त
दौलत की ताक़त
दुनिया में ख़ुदा के आगे जब इबादत नहीं होती,
बरकत जिसे कहते घर में वो बरकत नहीं होती।
भगवान ने भी झुकाया सर भक्तों के सामने,
भक्ति से बढ़कर कोई ताक़त नहीं होती।
मर मिटने के ज़ज़्बात ना हो इक-दूजे के दिलों में,
ढेर कस्मों-वादों के रहते भी मोहब्बत नहीं होती।
संघर्ष तू कर रहा मंज़िल पाने को दुनिया में,
बिना मेहनत दौलत की ताक़त नहीं होती।
ज़िंदगी में आज अच्छे बुरे के हम खुद हक़दार हैं,
दुःख ही हो जीवन में ये किस्मत नहीं होती।
दुनिया में जो बात ना सुनता, बुजुर्ग चार लोगों की,
उस आदमी की बात की कोई कीमत नहीं होती।
सर झुकाया है राज-नवाबों ने भी, संतों के सामने,
बिना दुआ के कोई मंजिल साकार नहीं होती।
माँ-बाप का जिसने भी है, हर-पल दिल दुखाया,
उनकी हरगिज़ इबादत स्वीकार नहीं होती।