तेरी बातों की खूबसूरती
तेरी बातों की खूबसूरती
आदि ही, अंत की सृजन मंगल बेला है,
पुष्प-कली वन की विलक्षण सुगन्ध है।
ईश्वर कृति क्षण भर में परिपूर्ण,
प्रकृति का निर्वहन, अंबर में स्वतंत्र है।
विध्वंस के दरवाजे में,
विहँसती काल की कालिमा।
ब्रह्मांड के गर्भ में, प्रकृति-पुरुष संपूर्ण हैं,
अद्वितीय है, निराकार ब्रह्म,
तेरी बातों की खूबसूरती, सृजन-रत है।
तरु अंतर आवास में मद हैं,
छवि काल की, काले मेघ बन,
खुशियों की मंगल-बेला पर पड़ती है।
धरा जलमग्न हो, अंबर से प्रार्थना करती।
मेघों की निर्दयता को, आँचल में समेट,
आस्थाओं की तेज टकराहट,
मेघों का निर्दयी विध्वंस,
सृष्टि सृजन संकल्पना सत्य सिद्ध होती।
