ऐ मेघ तुम बरसो घनघोर निडर शीतलमय धरा जीवन हो ज्वालामय भ्रष्ट भवन हो बरसे शोले लाये क्रांति ऐ मेघ तुम बरसो घनघोर निडर शीतलमय धरा जीवन हो ज्वालामय भ्रष्ट भवन हो बरसे शोले...
तुम मेघ का टुकड़ा नही तुम मेरा नभ हो जिसके विस्तार मे मैं खो जाना चाहती हूँ तुम कोई राह का पत्... तुम मेघ का टुकड़ा नही तुम मेरा नभ हो जिसके विस्तार मे मैं खो जाना चाहती हूँ ...
महकाओ मुझे मेरे तट से लिपटकर मधुकर तुमसे यहीं रस खींचे। महकाओ मुझे मेरे तट से लिपटकर मधुकर तुमसे यहीं रस खींचे।
सूखे खेतों की नाली में झर झर पानी बहने दो। सूखे खेतों की नाली में झर झर पानी बहने दो।
प्रण मेरा पुनः राष्ट्र में अमृत सोम बहाना। प्रण मेरा पुनः राष्ट्र में अमृत सोम बहाना।
सफल हो जायेगी तुम्हारी आराधना जाग्रत हो जाएगी तुम्हारी चेतना। सफल हो जायेगी तुम्हारी आराधना जाग्रत हो जाएगी तुम्हारी चेतना।