गुरु सर्वस्व मेरा है
गुरु सर्वस्व मेरा है
गुरु बिन पुतला है मानव, ये जीवन अधूरा है,
वो सच्चा मार्गदर्शक है, गुरु बिन ज्ञान अधूरा है।
हवाएँ लोरियां गायें, सुनाएं गीत मनभावन,
गुरु का मिट जाए अस्तित्व, तो संसार अधूरा है।
तू ही तो ज्ञान देता है, तू ही सर्वस्व मेरा है,
तूने दुनिया है समझाई, तू ही भगवान मेरा है।
तेरे हर शब्द, हृदय में, समा करके,
अक्षर ज्ञान देकर के, तू ही इंसान बनाता है।
तू ही हर लक्ष्य बताकर के, जीवन पूर्ण करता है,
तन-मन प्राण समर्पित है, मेरा जीवन भी तेरा है।
तेरे उपकारों को कैसे, शब्दों में, समझाएँ,
मेरा सौभाग्य समझूँ या, इसे वरदान समझूँ मैं।
कोई शिक्षक बोलता है, कोई गुरुदेव कहता है,
वो दुनिया से उभरकर के, महा-मानव बनता है।
'करिश्मा' करता है ऐसा, दुनिया है, समझाता,
अधूरे जीवन को अपने, गुरु संपूर्ण बनाता है।