⛳मातृभूमि⛳
⛳मातृभूमि⛳
यह देश है वीरों की धरती, एकता भरपूर है,
जगत-गुरु नाम विख्यात, ख्याति दूर दूर है।
गणतंत्र हुआ जब देश अपना, राष्ट्र गौरव पूर्ण हुआ,
हिमालय से गंगा की धारा, अब झरना संपूर्ण हुआ।
अनेकता में एकता, यहीं राष्ट्र की पहचान है,
संस्कृति से सुसज्जित, कलाकृतियों से सम्मान है।
अलंकृत पुरातन की शैली, रामायण के पन्नों में,
आदर्श प्रतिभा है झलकती, संस्कृत प्रसंगों में।
इतिहास स्वर्णिम रहा हमारा, वीर हुए बलिदान हैं,
परंपरा रही हमारी, शरणार्थी शत्रु भी मेहमान है।
वीरों के अर्पण की भूमि, यह तर्पण की भूमि है।
मातृत्व झलकता कण-कण में, ऐसी मातृभूमि है।