सत्य का स्वरूप
सत्य का स्वरूप
सच सुनते ही सकपका जाते है
झुझंला जाते है
किसी के दर्द पर मुस्कुराते है
स्वयं को नहीं देखते
दूसरों के दोष गिनवाते है लोग
छलावा और दिखावा खुद करते है
नकाबपोशी का इल्जाम लगाते है लोग
दूसरों के गमों में मजा लेने वालों
अपने आप पर ना इतराए
दोषारोपण छोड़कर आत्ममंथन पर
ध्यान लगाए।