सृष्टि की सुदंरता- लाजवाब
सृष्टि की सुदंरता- लाजवाब
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है चारों ओर सुदंरता व्यापत
ना कर ऐ मानव इसे दूषित
है हर ओर रंग बिखरे हुए
जैसे आसमां जमीन को छुए
सृष्टि की रचना है अनमोल
ऐ मानव मत इसमें जहर घोल
है सृष्टि की सुंदरता बेहिसाब
रचयिता ने कर दिया कमाल लाजवाब
लेकिन मानव ने कर दिया है सब खराब।
