कल्पना या विडम्बना- छलरहित संसार
कल्पना या विडम्बना- छलरहित संसार
छलरहित व्यवहार नहीं है
कलयुग का आधार
चेहरे पर चेहरा लगाकर
करते है कपट अपार
आज के युग मे नहीं मोल मानवीय मूल्यों का
जिसका होता प्रतिदिन बहिष्कार
संवेदनहीनता और चरित्र हनन है कलयुग के द्दोतक
जिसका प्रभाव नहीं जाएगा सदियों तक
अग्रसर रहे सत्य पथ पर ! करें प्रयास।छलरहित रहने का
आत्म उत्थान करने का यही है उत्तम तरीका।