वफा का दोहरा मापदंड-क्यों
वफा का दोहरा मापदंड-क्यों
स्त्री से वफा की रहती है आस
मर्द से वफा की उम्मीद रखना है उपहास ।
औरत को खोखली बेड़ियों में जकड़ दिया जाता है
मर्द वफा की खिल्ली उड़़ाता फिरता है ।
हर स्त्री से सीता होने की रखी जाती है आस
मर्द में राम का होना है एक विरोधाभास ।
युग परिवर्तन हो गए
समाज की रूढिवादी सोच नहीं बदली
शायद एक कभी ना खत्म होने वाला इंतजार है
या कभी ना सुलझने वाली पहेली ।
आवश्यकता है स्त्री मन कड़ा कर
अपनी राह खुद बनाए
और तोड़ दे खोखली रीतियों की
बेडियों को ।