गैरत इतनी हो आँखें कभी झुके ना किसी से, भले तू कहीं भी अपने चेहरे पे नक़ाब रख। गैरत इतनी हो आँखें कभी झुके ना किसी से, भले तू कहीं भी अपने चेहरे पे नक़ाब रख।
कभी हमसे भी पूछ लीजिए, दुख क्या चीज़ होती है; कभी हमसे भी पूछ लीजिए, दुख क्या चीज़ होती है;
बुनियाद तो उनकी हिलके रहेगी, रिश्तों में जिनके दरार है। बुनियाद तो उनकी हिलके रहेगी, रिश्तों में जिनके दरार है।
आपके चेहरे पर यह नक़ाब कुछ यूँ फबता है मानो सितारों के साथ वो चाँद जैसे दमकता है आपके चेहरे पर यह नक़ाब कुछ यूँ फबता है मानो सितारों के साथ वो चाँद जै...
रिश्तों का नहीं मान यहाँ इंसान ही इंसान का दुश्मन जहाँ। रिश्तों का नहीं मान यहाँ इंसान ही इंसान का दुश्मन जहाँ।
नक़ाब चेहरे से अपने भी अब हटाओ जरा। नक़ाब चेहरे से अपने भी अब हटाओ जरा।