कोई नहीं है अपनी, अपनों की हाय में लूट गयी हूँ। कोई नहीं है अपनी, अपनों की हाय में लूट गयी हूँ।
रिश्तों का नहीं मान यहाँ इंसान ही इंसान का दुश्मन जहाँ। रिश्तों का नहीं मान यहाँ इंसान ही इंसान का दुश्मन जहाँ।
नोच नोच कर खा गए मुझको कहने को मैं जंगल का राजा था। नोच नोच कर खा गए मुझको कहने को मैं जंगल का राजा था।
निचोड़ा कहीं का न छोड़ा मुझे उधेड़ोगे अब क्या मेरी खाल तुम। निचोड़ा कहीं का न छोड़ा मुझे उधेड़ोगे अब क्या मेरी खाल तुम।
जीना नहीं किसीको हज़ारो साल फिर इकट्ठा करते क्यों इतना माल? खानदानी मची रहती बीच गोलमाल शंका क... जीना नहीं किसीको हज़ारो साल फिर इकट्ठा करते क्यों इतना माल? खानदानी मची रहती...