ज्यों कच्चा चिठ्ठा खुलते देखा त्यों नौ दो ग्यारह होते देखा। ज्यों कच्चा चिठ्ठा खुलते देखा त्यों नौ दो ग्यारह होते देखा।
थाम लोगे जब कलम को तुममें भी कुछ बात होगी। थाम लोगे जब कलम को तुममें भी कुछ बात होगी।
मैंने थोड़ी सही पर गाँव की खुश्बू इन्हीं गलियों में पायी है। मैंने थोड़ी सही पर गाँव की खुश्बू इन्हीं गलियों में पायी है।
अब समझने लगा हूं, जाता हूं वहाँ जहाँ प्रेम से बुलाते जीमने। अब समझने लगा हूं, जाता हूं वहाँ जहाँ प्रेम से बुलाते जीमने।
अब कर्जों में बैठा थाती हूँ हाँ अब मैं प्रवासी हूँ। अब कर्जों में बैठा थाती हूँ हाँ अब मैं प्रवासी हूँ।
दाल में नमक पूछती हुई मां ही असली मां है। दाल में नमक पूछती हुई मां ही असली मां है।