मां
मां
जब भी
मां बोलता है कोई
हमें याद आती है
गोदी में मुझे सुलाती हुई
चुल्लहे पर रोटी पकाती हुई
दाल में नमक कैसा है
चाय में चीनी ज्यादा है न ?
आदि आदि पूछती हुई
मेरी मां
पता नहीं
मेरे मन में
कभी नहीं आती है
कांधे पर पर्स लटका कर
नौकरी करने जाती हुई
मेरी मां
पर मां तो मां है
चुल्लहे के सामने बैठी हो
या काउंटर के सामने
पर फिर भी
अजीब लगती है
मुझे काउंटर पर बैठी मां
ये हो सकता है
मेरा संकीर्ण सोच
पर फिर भी
मां, मन कहता है
दाल में नमक पूछती हुई
मां ही असली
मां है।