खामोशी की आवाज
खामोशी की आवाज
बिन कहे बात समझना होता है
इश्क में खामोशी की आवाज सुनना होता है
जरुरी नहीं जो हासिल हो वही इश्क है
कभी-कभी नसीब में बिछड़ना भी होता है
हासिल हो जाए आसानी से ये मुमकिन नहीं
इश्क में आशिक को तड़पना पड़ता है
जुदा हो कर भी कहीं बाकी रहता है इश्क
इसीलिए शायद दर्द-ए-जुदाई में रोना पड़ता है
उदास रहने पर लोग करते हैं सवाल
दर्द हो सीने में फिर भी मुस्कराना होता है
कभी कर के देखना तुम सच्चा प्यार
ना चाहते हुए भी दोनों को अलग होना पड़ता है।
इसीलिए कहता हूं मैं 'अलताफ'
इश्क में खामोशी की आवाज सुनना होता है।
