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Aishani Aishani

Abstract

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Aishani Aishani

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हे नागदेव..!

हे नागदेव..!

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हे नागदेव...!

तुम ही निर्णय करना 

किसको अर्पित करूं मैं 

आज का ये दुग्ध से भरा पात्र

तुमको ...!


या फ़िर...

वक़्त वक़्त पर डसने वाले 

उन तक्षकों को जो आस्तिन में ही पलते हैं..? 

तुम्हारे फन को वे बेरहमी से कुचल डालते हैं

भय से कि कहीं तुम डस ना लो

 जाने अनजाने में..!


पर...!

हे नागलोक के राजा 

उनका क्या उपाय है तुम्ही बताओ..!

हम तो तुमको राह दे देते हैं 

किन्तु उनके लिए राह तुम दिखाओ.….!


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