ठोकर खाता हूं उठता हूँ फिर भी चलता जाता हूँ। ठोकर खाता हूं उठता हूँ फिर भी चलता जाता हूँ।
कठपुतली -सा नचायेगा वही जिसके हाथ में धागे होंगे। कठपुतली -सा नचायेगा वही जिसके हाथ में धागे होंगे।
सिर्फ़ दोस्त तेरी कला से मैं लिख रहा हूं दोस्त सिर्फ़ तेरी प्रेरणा से। सिर्फ़ दोस्त तेरी कला से मैं लिख रहा हूं दोस्त सिर्फ़ तेरी प्रेरणा से।
हक़ीक़त में अब शिकारियों ने अंदाज़ ही नहीं बल्कि अपने हथियार भी बदल दिये हैं। हक़ीक़त में अब शिकारियों ने अंदाज़ ही नहीं बल्कि अपने हथियार भी बदल दिये हैं।
ये जग मेरे लिए नहीं, ये जान कर अनजान हूँ इसको आगे ले जाने की, इकलौती पहचान हूँ ये जग मेरे लिए नहीं, ये जान कर अनजान हूँ इसको आगे ले जाने की, इकलौती पहचान ह...
शिक्षा के विस्तृत गगन में मैं शुन्य सी रही चमक। शिक्षा के विस्तृत गगन में मैं शुन्य सी रही चमक।