शुन्य
शुन्य
शिक्षा का विस्तृत गगन
मै शुन्य सी रही चमक
सूर्य नहीं
जो रोशन जग को
क्षण में कर दूँ
पर चाँद सी
उधार लें रौशनी
गहन तम
को कुछ मद्धिम करदूं
ज्ञान की रौशनी
देकर पात्र को
अंधियारे में राह दिखा दूँ
एक के पीछे
शुन्य सी जुड़कर
कीमत में उसकी
कुछ वृद्धि कर दूँ
शिक्षा के विस्तृत गगन में
मैं शुन्य सी रही चमक।
