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Krishna Sinha

Others

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Krishna Sinha

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नन्ही गौरिया

नन्ही गौरिया

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सब कहते है तुम विलुप्त हो रही हो,

ओ, नन्ही गौरिया तुम क्यों खो रही हो...

हम खुश है तुमने घर जो हमारा चुना..

तिनका तिनका जोड़ नन्हा नीड़ बुना...

अहा ! अब सुबह चहचहा के तुम हमें उठाती हो...

फुदक फुदक आंगन में, जैसे इठलाती हो..

ओ, नन्ही चिरैया बड़ा मन भाती हो...

यूँ रूठ के हमसे ना गायब हो जाना..

हमारा घर आँगन तुम्हारा भी तो है...

जब मर्जी चले आना...

अपने नन्हों को दिला देना यकीं

वो हर बार आजाये बेझिझक यही...

बनाये यही अपना आशियाना.

उनके नन्हे भी यही सीखे अपने पंखो को फैलाना....

साल दर साल सुनने को आहट

तुम्हारी प्यारी सी चहचहाअट 

हम इंतज़ार यूँ ही करते रहेंगे...

लेते रहेंगे तुम्हारी बलैया...

ओ नन्ही चिरैया, ओ प्यारी गौरिया....



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