भारत माता
भारत माता


देश के गुलशन में
फूल खिले हैं अनेक।
जात,भाषा,प्रांत की
महक है पर एक।
सदियों से, गुलामी की जंजीर
पहनी थी, भारत माता।
आज आजादी, उन्नति से
स्व श्रृंगार कर रही माता।
पर कहीं है, तनाव और घुटन
स्वार्थमय अधिकारों की, छिड़ी जंग।
सभी लगे हैं, पाने और तोड़ने
नर में नहीं भरता
कोई नारायण का रंग।
एक भाषा, ऐक राष्ट्र
एक तिरंगा और संविधान।
कहां से बदला, रंग पहना
अलगाव ,द्रोह, हिंसा का परिधान।
सर्वांग प्रगति, भारत की
संसार कर रहा इंतजार।
आओ देशवासी, सहभागी बनो
पूर्ण जीवन का, करो इजहार।
ऊपर उठकर, फरेब लालच से
मजबूत करो ,देश की एकता को।
इंसानियत, बलिदान की स्याही से
लिखो भारतमाता के भाग्य को।