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Dr. Madhukar Rao Larokar

Romance

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Dr. Madhukar Rao Larokar

Romance

प्यार सलामत रहे (47)

प्यार सलामत रहे (47)

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कब तलक, पूछोगे हमसे

उल्फ़त का अफसाना।

न धुआं उठे न चिंगारी दिखे

फिर भी जलता, रहे परवाना।

प्यार सलामत रहे।।


फरियाद से लबरेज़ है

अपना दिल, हर वक्त।

शिकवा करें भी तो किससे

घमंड में डूबा है, वह दिवाना।

प्यार सलामत रहे।।


वे जख्म भी देते है

और दवा भी नहीं पूछते।

यार की तस्वीर, है दिल में

मेरा इश्क है, कितना शरीफाना।

प्यार सलामत रहे।।


पशोपेश में हूँ, के किस

तरह करूँ अर्ज ए तमन्ना।

मगरूर है यार मेरा, दुश्मन के

पहलू में, उनको देखता है जमाना।

प्यार सलामत रहे।।


उनके सितम, सहकर भी

दुआ में उठते है, हाथ मेरे।

सलामत रहे, वे हमेशा 'मधुर’

है मेरी ये आरजुए तमन्ना।

प्यार सलामत रहे।।


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