"" प्रेम का एहसास ""
"" प्रेम का एहसास ""


जब सावन की घटायें
गगन में छा जाती हैं,
जब तम में जुगनुओं की
रौशनी बिखर जाती है,
तब प्रेम का होता एहसास।
जब किसी की छवि आखों से
उतर दिल में बस जाती है,
जब पराग का रस लेकर,
भौंरा गुन-गुन गीत गाता है
तब प्रेम का होता एहसास।
जब कोई दुखी होता है
अपने को देख रोता है,
अपने दिल का दर्द बांटता है।
तब प्रेम का होता एहसास।
जब कोई मां नन्हे बच्चे को
लोरी गाकर दूध पिलाती है,
प्यार से उसकी बलईयां लेती है
तब प्रेम का होता एहसास।
जब कोई निःशब्द
हाथों के कंगना
बजाकर इशारे से बुलाती है,
जब किसी को देख मन
के तार झंकृत होते हैं,
तब प्रेम का होता एहसास।
जब कोई अपनों के लिए
अपना सब कुछ वार देता है,
अपनों के दुख अपना लेता है
बदले में खुशी के आंसू देखता है,
तब प्रेम का होता एहसास।