नमस्कार
। पुरवाई आज़ाद थी और वो खुशबू दोनों घरों को एक कर रही थी। । पुरवाई आज़ाद थी और वो खुशबू दोनों घरों को एक कर रही थी।
उसकी शरमाई सी नज़रे जोयश्री पे टिकी थी और जोयश्री जैसे बिना कुछ बोले बहुत कुछ कहना चाहती थी। अब हर्ष... उसकी शरमाई सी नज़रे जोयश्री पे टिकी थी और जोयश्री जैसे बिना कुछ बोले बहुत कुछ कह...
उसे भरी टोकरी और हलके जेब के साथ ही घर को लौटना पड़ेगा। उसे भरी टोकरी और हलके जेब के साथ ही घर को लौटना पड़ेगा।