STORYMIRROR

Devkaran Gandas

Abstract

4  

Devkaran Gandas

Abstract

भारत मां का बेटा

भारत मां का बेटा

1 min
338

चल पड़े हैं हम फिर घर से, होंठों पर मुस्कान सजाए,

दिल में उमड़े हुए भावों पर, एक मजबूत लगाम लगाए।


घर पर रह पाना नहीं संभव, मुझे कर्मस्थली जाना है, 

राष्ट्र सेवा का प्रण लिया है, उस को सार्थक बनाना है।


देश में जो माहौल है गर्दिश का, उस को दूर भगाना है

भले मुझे मिल जाए मृत्यु, पर देश सुरक्षित बनाना है।


हर रोज कफ़न बांधे सर पर, मैं दुश्मन से लोहा लेता हूं

मुझे याद रखना अपनी यादों में, मैं भारत मां का बेटा हूं।


भले हो सर्दी या फिर गर्मी, मुझे होता इसका भान नहीं,

भले हो घाटी काश्मीर की या थार का रेगिस्तान कोई।


मेरे कर्तव्य पथ पर मुझको विचलन नहीं कोई आता है

गर मर भी गया तो देश मुझे अपना शीश नवाता है।


इस जन्म को मैंने वारा देश पर, अगला जन्म तेरा होगा,

मुझे माफ़ करना हमराही, मेरी रूह पर कर्ज तेरा होगा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract