घर वास का तीसरा दिन
घर वास का तीसरा दिन
तृतीय दिवस घरवास का
अब थम से गए हैं कदम,
अब लेखन का साथ रहा
और पुकार रही है कलम।
क्यों हम धरा पर आए हैं
किस हेतु लिया ये जन्म,
नाश कर रहे प्रकृति का
क्या यही था हमारा कर्म।
मानवता के शत्रु बन गए
हुआ ईश्वर होने का भ्रम,
है समय अब भूल सुधारें और
प्रकृति को पूजे हम।
