मुझे इश्क़ हुआ कैसे
मुझे इश्क़ हुआ कैसे
पहली बार नज़र ज़ब,
उससे मिली
दिल हुआ बेचैन,
धड़कन बढ़ी
अजनबी सी ख्वाहिश,
दिल में जगी,
ऐसे-ऐसे
कुछ समझ नहीं आया,
परेशान हूँ
मैं हैरान हूँ
मुझे इश्क़ हुआ कैसे !
इंतज़ार में वक़्त,
गुज़रता गया,
जैसे-जैसे
आँखें दीदार के लिए,
तड़पने लगी,
वैसे-वैसे
कुछ समझ नहीं आया,
परेशान हूँ
मैं हैरान हूँ
मुझे इश्क़ हुआ कैसे !
एक पल भी,
अब जुदाई,
सही नहीं जाती
दिल कि बात,
किसी से,
कहीं नहीं जाती
ना लगा था,
इश्क़ का रोग,
तो हम बड़े,
अच्छे थे
जबसें ये इश्क़ का,
रोग लगा हैं
ख़ुद को संभाले हैं,
जैसे-तैसे
कुछ समझ नहीं आया,
परेशान हूँ
मैं हैरान हूँ
मुझे इश्क़ हुआ कैसे !
