इंसान खोजते हैं
इंसान खोजते हैं
चलो अब प्यार खोजते हैं
इस दफा इंसान खोजते हैं
बस्तियां फैली हैं हर जगह
आदम की पहचान खोजते हैं
ढूंढना इतना मुश्किल ना होगा
आवरण उठा कर खोजते हैं
केसरी हरे चोगों के अंदर
देसी परदेसी झंडो के नीचे
भाई, बहन, माँ, बाप बाने हुए
बच्चों को स्कूल भेजते हुए
दफ्तरों में भागते लड़ते हुए
सभाओं में भाषण देते हुए
औरतों, मर्दों, कुलीनों में बटे हुए
कुलीनों को फटकारते हुए
मालिकों की गर्जना सुनते हुए
कहीं भी मिल सकते हैं इंसान
आवरण उतार कर पुकारते हैं
नग्न होने के भय ख़तम करते है
इस दफा प्यार खोजते हैं
आओ हम इंसान खोजते हैं।