गुबार
गुबार
एक नया गुबार बनाया गया है
जान का खतरा बताया गया है
दूर बैठे हम इंतजार करते रह गये
वो धुआं लपेटे फिर धुआं हो गये
अभी भी वहाँ गुबार का असर है
कुछ दूर देखने की कोशिशें है
किसकी जिन्दगी फंसी हैं गुबार में
किस डर से गुजर राहा था काफिला
सच गुबार का असर है यह सब
फिज़ा में एक महक हैं अनजान
पर नजर किसी को नहीं आता
कोई नहीं पूछ रहा जरूरी सवाल
सवाल जो खुली हवा से पूछे जाते हैं
इस बाग में कौन से फूल मुरझा गये
उनकी चिता पर कौन से पेड़ आ गये
गुबार और सवालों में यह फर्क होता है
छंट जाता है गुबार कुछ समय बाद
फिर नई आग लगानी पड़ती है
पर सवाल टस से मस नहीं होते
भाग नहीं जाते भीड़ से ड़र कर
इंतजार करते है धुएं के छंट जाने का
कल की अखबार ने बताया था
आने वाली हैं बारिश कुछ रोज़ में
उम्मीद है खुला आसमान नज़र आएगा
फिर पता लग जाएगा सब साफ साफ
कौन से सवाल इंतजार कर रहे थे पुल पर
कितनों की जान को खतरा था
कितनों की जान बचा ली जा सकती थी।