प्यादों की तरह मात खाते हैं। प्यादों की तरह मात खाते हैं।
धर्म जब सियासत का हथियार बन जाती है मानवता किसी कोने में दुबक कर बैठ जाती है धर्म जब सियासत का हथियार बन जाती है मानवता किसी कोने में दुबक कर बैठ जाती है
आजकल बहुत डराने लगे हो तुम हमको अब बहुत हुआ अब छोड़ दो ये बचपना आजकल बहुत डराने लगे हो तुम हमको अब बहुत हुआ अब छोड़ दो ये बचपना
कहाँ गए वो दिन जब लोग इश्क के नाम पर जान दे दिया करते थे. कहाँ गए वो दिन जब लोग इश्क के नाम पर जान दे दिया करते थे.
लहू ज़ब सबका लाल हैं लहू ज़ब सबका लाल हैं
बहुत चाहा लिखूँ सब की व्यथाएँ कोरे कागज पर मिली फुर्सत कहाँ मुझको कभी अपनी कहानी से बहुत चाहा लिखूँ सब की व्यथाएँ कोरे कागज पर मिली फुर्सत कहाँ मुझको कभी अपनी कहान...