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VIVEK ROUSHAN

Inspirational

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VIVEK ROUSHAN

Inspirational

इंसानियत अपना दम तोड़ जाती है

इंसानियत अपना दम तोड़ जाती है

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मुफ़लिसों के आँखों का ख़्वाब भी छीन लेती है

तानाशाही जब हुक़ूमत पर सवार हो जाती है

बसी-बसाई बस्तियॉं जलकर राख़ हो जाती है

जब नफरत बाज़ार में सरे-आम हो जाती है

ज़ुल्म जब अपनी सारी हदें पार कर जाती है

चलते-फिरते राहगीरों की जान चली जाती है

धर्म जब सियासत का हथियार बन जाती है

मानवता किसी कोने में दुबक कर बैठ जाती है

सियासतदानों की तख्ते सलामत रह जाती है

और इंसानियत अपना दम तोड़ जाती है ।




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