पड़ेगा भारी
पड़ेगा भारी
घर से बाहर मत निकल
बाहर कड़ा पहरा है
थोड़ा सब्र रख अच्छे दिन
आने वाले हैं
आज से हमने बे मतलब
मुस्कुराना बंद कर दिया है
नहीं तो ये दुनिया पागल
समझने लगता हमको
मेरी बात मानो तो तुम भी
कल से यूं बे मतलब के
टहलना कर दो बंद नहीं तो
ये दुनिया चौकीदार
समझने लगेगी तुम को
आजकल बहुत डराने लगे हो
तुम हमको
अब बहुत हुआ अब छोड़ दो
ये बचपना
नहीं तो हद से गुजर जाना
किसे कहते एक दिन
दिखा देंगे हम तुम को
एक आम आदमी का होता है
सिर्फ़ उसके काम से और
बढ़ती मंहगाई से वास्ता
इस देश की सियासत और
देश की अर्थव्यवस्था से
उसका नहीं होता है
दूर दूर से कोई रिश्ता
आजकल हम समझने लगे हैं
नियत तुम्हारी
अब बहुत हुआ अब सुधर जाओ
नहीं तो इस बार पड़ेगा तुम को
बहुत भारी