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Rajit ram Ranjan

Tragedy

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Rajit ram Ranjan

Tragedy

मोहब्बत की जबां थी उर्दू..!

मोहब्बत की जबां थी उर्दू..!

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हम तो बच्चों के जैसे ही धरती पर पैदा होते हैं प्यारे,, 

मगर कुछ बेवकुफो ने बाट दिया हिन्दू,मुस्लिम आदि रूपों में,, 

अपनी उर्दू तो मोहब्ब्त की जबाँ थी प्यारे,,

अब सियासत ने उसे जोड़ दिया मजहब से,,

हम तो आज भी दिवाली-ईद साथ मनाते हैं,, 

साथ में बैठ के खाते हैं,, 

वही चाँद रौशनी सबको देता हैं,, 

कुछ दरिंदों ने उसे भी नहीं छोड़ा,, 

बाँट दिया धर्मों के पहलुओं में,, 

लहू ज़ब सबका लाल हैं,, 

फ़िर ऐ जाति-धर्म का क्या बवाल हैं,, 

बन सको तो इंसान बनो राजित राम रंजन का यही सवाल हैं प्यारे,,

अपनी उर्दू तो मोहब्ब्त की जबाँ थी प्यारे,,

अब सियासत ने उसे जोड़ दिया मजहब से,,!!



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