Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

JYOTI SAH

Tragedy

4  

JYOTI SAH

Tragedy

पलायन मेरे गांव से

पलायन मेरे गांव से

1 min
394


मुझे घनी अमराईयों की चाह नहीं

ये सूखा नीम का दरख्त, मेरा अपना तो है

    मुझे जगमगाती रोशनियों की चाह नहीं

    ये मिट्टी का दिया मेरा अपना तो है

मुझे चाह नहीं उन राहों की जहाँ सिर हंसी

और मुस्कराहट है ये ठंडी कंपन भरी डगर मेरी अपनी तो है

     कहाँ जाएंगे ये रास्ते कहा थमेगी ये हसरतें

     जिन पर लुटे है न जाने कितने राही

     इन राहों पर लुटने वाला मेरा अपना तो है

लोग खुश होते है मखमली राहों पर चलकर

मेरी डगर पर चुभने वाला कांटा मेरा अपना तो है

   हवा उड़ा देती है मेरे आंचल को कभी

   जिसने थामा को हर शै मेरा अपना तो है

वो न समझे मेरा दर्द अभी

उसका दिया ये दर्द मेरा अपना तो है

   जब बिछड़ेंगे दिल में कसक होगी

   जब याद आओगे आंखों में नमी होगी

अब मान भी ले ए दिल

जाने वाला हर शख्स तेरा अपना तो है

    अब रोक भी ले बढ़कर उसे फिर न कहना

     ये जाने वाला मुसाफिर मेरा सपना भी है


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy