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JYOTI SAH

Fantasy

3  

JYOTI SAH

Fantasy

प्रेम

प्रेम

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प्रेम का रिश्ता भी कितना अनोखा होता है

    जितना मजबूत उतना ही नाजुक होता है

वह तो प्रतिबद्ध है अपने महबूब के प्रति

    जिसमें कभी भी न द्वैत(दूसरा)होता है

वह तो एक फुहार है जो गरज कर बरस जाता है

    वह तो मीठी धूप है जो हर गम को सुखाता है

वह राधा है वह मीरा है वह ही तो मस्त कबीरा है

    वह राधा का श्याम है सीता का राम है

वह रुकने का नाम नहीं मनभावन है अभिराम है


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