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JYOTI SAH

Tragedy

4  

JYOTI SAH

Tragedy

हाय नारी

हाय नारी

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यत्र नार्यस्तु पूज्यते के देश में

   पुरुष ने कभी द्रौपदी का चीर खिंचवाया

तो कभी सतयुग में सीता को चुराया

    कभी ली अग्नि परीक्षा तो कभी वनवास दिलाया

कभी लक्ष्मी बाई मारी गयी तो कभी तीलू रौतेली

   कभी नयना साहनी को तंदूर में भूना

तो कभी निर्भया को चुना

    नाम बदलते गए जिस्म बदलते गए

न अत्याचार थमा न अत्याचारी

     प्रकृति ने जीवन को सार्थक करने के लिए 

दो धुरी बनायी एक को नाम दिया पुरुष

      तो ममतामयी नारी कहलाई

पुरुष ने नारी को समीप बुलाया

      कभी प्रेम तो कभी श्रद्धा से उसे बहलाया

कभी त्याग कभी समर्पण समझाया

      कली से उसे फूल बनाया

फिर छोड समाज के बीच चला आया

      समाज ने नारी पर कहर ढाया

कभी पत्थर तो कभी शब्द बाण चलाया

      हाय धिक्!चरित्रहीन ये नारी है

पुरुष तो देवता है बह्मचारी है|


      


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