मेरे राम
मेरे राम
जब सांसो का धीमा हो स्पंदन
जब चारों ओर कुहासा हो
जब छाया से लग जाए डर
जब चिन्ताओं का हो अंबार
तब तुम आना एक बार
जीवन को देने फिर आधार
जब जीवन नैया डोलती हो
जब फिर खिवैया ढूंढती हो
जब मंजिल मेरी छूटती हो
जब हर वाणी कटुता घोलती हो
तब तुम आना एक बार
जीवन को देने फिर आधार
जब प्रतिबिम्ब मेरे मुझे घेरते हो
पग-पग कंटक बिखेरते हो
जब धुंधली-धुंधली हर दिशा लगे
जब निरर्थक हर प्रतीक्षा लगे
तब तुम आना एक बार
जीवन में दीप जलाना बन आधार
जब सारी दुनिया डोलती हो
जब मौत की तूती बोलती हो
जब पग -पग बिखरे शंकाएं हो
जब घिरी हर ओर बाधाएँ हो
तब तुम आना एक बार
जीवन को देने अमर गान
तब तुम आना मेरे प्राण
कभी कृष्ण बन कभी मेरे राम
