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JYOTI SAH

Others

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JYOTI SAH

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मैं एक गुमनाम शायर

मैं एक गुमनाम शायर

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फिर वही दिन,पुरानी याद लेकर आए हो

   क्या दें तुम्हें दुआएं,यादों की बरसात लेकर आए हो

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वो वक्त गुजरा ये भी गुजर जाएगा

  उसका निशां बाकि,इसका भी रह जाएगा

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किसी ने दौलत से प्यार किया

    किसी ने शोहरत से प्यार किया

हम तेरे रंग में सरोबार

    हमने गुमनामी से प्यार किया

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मुस्कराहट न किसी की लौटा सके

  आंसू न किसी के सुखा सके 

इंसा होकर इंसा न बन सके

   दावेदारी फरिश्तों की कर बैठे

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हर चेहरे की पहचान हो गयी

   हर दर्द से अंजान हो गयी

तुमसे हुए जो रुबरु

    इंसानियत की अजान में हो गयी।


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