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kuldeep Singh

Romance Fantasy Inspirational

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kuldeep Singh

Romance Fantasy Inspirational

क्या रखा है पास तुम्हारे??

क्या रखा है पास तुम्हारे??

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आज किसी ने पूछा मुझसे क्या रखा है पास तुम्हारे


अलमारी के भीतर उसके कई पुराने पत्र भरे है

वही पुरानी गंध समेटे सूखे हुए गुलाब धरे है

मेले में जो खिंचवाई थी संग में वो तस्वीर धरी है

वहीं उसी से लिपटी लिपटी इन आंखों की पीर धरी है


मुस्कानों के बिम्ब धरे है जिसपर थे हम सब कुछ हारे

आज किसी ने पूछा मुझसे क्या रखा है पास तुम्हारे


तोहफे की खातिर लाया था इक जोड़ी पायल रक्खी है

उस पायल में उसके गोरे पांवों की हलचल रक्खी है

काढ़ा नाम हमारा जिसपर वह सूती रुमाल रखा है

दिल भी उसपर एक कढ़ा है जिसमें एक भूचाल रखा है


इक चूनर है जिसपर उसने खुद टांके थे चांद सितारे

आज किसी ने पूछा मुझसे क्या रखा है पास तुम्हारे


जिसको बालों में गूंथा था गुलमोहर का फूल धरा है

उसकी बिंदी वाला पत्ता अब तक बिना फिजूल धरा है

कुछ छोटे छोटे डिब्बों में लाल गुलाबी रंग रखा है

और उन्हीं डिब्बों के भीतर जीने का हर ढंग रखा है


एक बुझा दीपक रखा है, कौन यहां पे काजल पारे

आज किसी ने पूछा मुझसे क्या रखा है पास तुम्हारे


अहसासों का कोष भरा है क्या चांदी है क्या सोना है

उसकी यादों का मेला ही मेरे वैभव का होना है

इन सबके ही साथ हमारे सपनों की तामीर रखी है

बादशाह बौने लगते हैं मुझपे वह जागीर रखी है


हृदय प्रीति की इस थाती की सांस सांस आरती उतारे

आज किसी ने पूछा मुझसे क्या रखा है पास तुम्हारे



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