भले ही मुझे शर्म की चुनरी ओढ़नी पड़े पर अब भी मैं कली सी मासूम हूँ। भले ही मुझे शर्म की चुनरी ओढ़नी पड़े पर अब भी मैं कली सी मासूम हूँ।
सिर पर गगरी संस्कृत हो भरी जिसमें उर्दू अमृत सी हो सिर पर गगरी संस्कृत हो भरी जिसमें उर्दू अमृत सी हो
बूंदें तो आज मनमोहिनी बन आई लूट के करार मेरा बड़ा ही तड़पा। बूंदें तो आज मनमोहिनी बन आई लूट के करार मेरा बड़ा ही तड़पा।
धानी सी चूनर पहन धरा इतराये सुंदरता पर अपने। धानी सी चूनर पहन धरा इतराये सुंदरता पर अपने।
मोहे भावे वृंदावन की बृज माटी, नंदकिशोर संग राधा यहां विराजती। मोहे भावे वृंदावन की बृज माटी, नंदकिशोर संग राधा यहां विराजती।