हैं हौसले बुलंद, गर चाहूँ चांद छू लूँ। बाँध रखे जो मुझको, ऐसी नहीं बनी जंजीर।। हैं हौसले बुलंद, गर चाहूँ चांद छू लूँ। बाँध रखे जो मुझको, ऐसी नहीं बनी जंजीर।...
किस्मत वालों को मिले दुलार, ममता की खातिर विवश प्यार, योजना बिकने की भी बनी मां जैसा कोई नह... किस्मत वालों को मिले दुलार, ममता की खातिर विवश प्यार, योजना बिकने की भी बन...
गढ़वाली तो गढ़वाली है, इनकी तो हर बात अलग निराली है। गढ़वाली तो गढ़वाली है, इनकी तो हर बात अलग निराली है।
जो विकसित हो कर सपनों को साकार बनाये। जो विकसित हो कर सपनों को साकार बनाये।
या फिर था मैं मिला स्वयं से दर्पण ऐसा खिला-खिला था। या फिर था मैं मिला स्वयं से दर्पण ऐसा खिला-खिला था।
लौटना भी कैसे, सूख गई माटी रिश्ते पनपते नहीं बंजर जमीं में। लौटना भी कैसे, सूख गई माटी रिश्ते पनपते नहीं बंजर जमीं में।