गढ़वाली
गढ़वाली
गढ़वाली तो गढ़वाली है,
मातृभूमि की करते जो रखवाली है।
इनकी तो हर बात अलग अनूठी,
और इस जग से ही निराली है।
दुश्मनों को धूल चटाई जिसने,
वो वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की है।
मातृभूमि की रक्षा को तैनात खड़े बेजानी घाटी में,
खून मिलाने को तत्पर रहते हर वक्त पावन माटी में।
हर दस पर एक खडा है उस कश्मीरी घाटी में,
मिला देते अपने हर कतरे को संग्राम समर की माटी में।
संग्राम समर में जाने को आग धधकती सीनों मे,
माटी की सौगंध हमें बस जाए ध्वज इन नैनों में।
हम विष को भी अमृत कर दे,
हीरे को भी पत्थर कर दे।
संग्राम समर मे ईष्ट देव,
करते जिनकी रखवाली है।
गढ़वाली तो गढ़वाली है,
इनकी तो हर बात अलग निराली है।
