मन की बात लिख लेता हू।
राखी का त्यौहार आया, खुशियों भर-भर कर लाया। राखी का त्यौहार आया, खुशियों भर-भर कर लाया।
आखिर कब कुछ दानवों के कर्म को , मानव कैसे सह सकता है , कैसे प्रकृति के पतन से विमुख आखिर कब कुछ दानवों के कर्म को , मानव कैसे सह सकता है , कैसे प्रकृति के पतन...
चुपचाप सह लेता ये सारा संताप । पर,मन कहता कि, लिख डाल मानव का ये सारा प्रताप । चुपचाप सह लेता ये सारा संताप । पर,मन कहता कि, लिख डाल मानव का ये सारा प्रत...
यार चलो चलकर दुबारा हम, उन्हीं यादों में चलते हैं। यार चलो चलकर दुबारा हम, उन्हीं यादों में चलते हैं।
लेखनी से निकलकर बन जाती अमर कहानी ये। लेखनी से निकलकर बन जाती अमर कहानी ये।
गढ़वाली तो गढ़वाली है, इनकी तो हर बात अलग निराली है। गढ़वाली तो गढ़वाली है, इनकी तो हर बात अलग निराली है।
हर शब्द को निशब्द कर दे ऐसी लड़ी थी, लगता है जैसे शत्रु रक्त की प्यास बड़ी थी। हर शब्द को निशब्द कर दे ऐसी लड़ी थी, लगता है जैसे शत्रु रक्त की प्यास बड़ी ...