पनिहारी हिंदी
पनिहारी हिंदी
वो हिंदी है
वो हिंदी है
एक चटक-मटक सी नार कोई
ज्यों रसना पर अलंकार कोई
वो चली घट-घट पर सज-धज कर
पनिहारी हो ज्यों नार कोई
सिर पर गगरी संस्कृत हो
भरी जिसमें उर्दू अमृत सी हो
लहंगे पर गोटे अंग्रेजी के
अवधीवृज चूनर ओढ़ी हो
छूटे न मुझसे तेरी डोर कभी
ज्यों रसना से रस की जोड़ी हो
