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Ashish Chouhan

Inspirational

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Ashish Chouhan

Inspirational

पनिहारी हिंदी

पनिहारी हिंदी

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वो हिंदी है

वो हिंदी है

एक चटक-मटक सी नार कोई

ज्यों रसना पर अलंकार कोई

वो चली घट-घट पर सज-धज कर

पनिहारी हो ज्यों नार कोई


सिर पर गगरी संस्कृत हो

भरी जिसमें उर्दू अमृत सी हो

लहंगे पर गोटे अंग्रेजी के

अवधीवृज चूनर ओढ़ी हो

छूटे न मुझसे तेरी डोर कभी

ज्यों रसना से रस की जोड़ी हो



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