मेरे दोस्त जो दूर दूर जाके बैठ गये है उन सबसे मुलाकात हो जाये अबके बरस। मेरे दोस्त जो दूर दूर जाके बैठ गये है उन सबसे मुलाकात हो जाये अबके बरस।
छलकपट के बूंदों से अनगिनत सांचे में ढाल गये समर्पण की बंद देहरी से सर्वस्व मेरा छल गये छलकपट के बूंदों से अनगिनत सांचे में ढाल गये समर्पण की बंद देहरी से सर्व...
हम तैयार ही नहीं रहते ! सम्हलना सँवरना काम अपना है ! हम तैयार ही नहीं रहते ! सम्हलना सँवरना काम अपना है !
वो दरिया सूख गया, देकर बादलों को अपना पानी ऐ आँखें तू जरा खुल कर बरस वो दरिया सूख गया, देकर बादलों को अपना पानी ऐ आँखें तू जरा खुल कर बरस
सहेजना ना जानता इंसान इसलिए तरस जाता। सहेजना ना जानता इंसान इसलिए तरस जाता।
तुम्हारे आलिंगन में मैं होती हूँ और मुझ पर तुम्हारे आलिंगन में मैं होती हूँ और मुझ पर