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Sandhaya Choudhury

Tragedy Inspirational

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Sandhaya Choudhury

Tragedy Inspirational

मैं और दीया

मैं और दीया

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दीये से पूछा एक दिन क्या है ,

हम दोनों का यह जीवन, 

बोला दीया तुम बिल्कुल मेरी जैसी ,

मैं जलता रहता तेरे जैसा,


मैं सृष्टि की ख़ूबसूरत रचना,

तुम भी खूबसूरती सी तराशी गई, 

तुम मिट्टी की अगर बनी हुई,

मैं भी मिट्टी से ही तराशी गई, 


फिर उसने पूछा जलने के लिए,

तेल और बाती की जरूरत तो होगी,  

हाँ जीने के लिये मुझे भी जैसे, 

प्यार व सम्मान कि ज़रूरत तो होगी,


पूछा मैंने यूँ कब तक जलते रहोगे, 

हँसकर बोला तेल बाती का साथ तबतक,

सुनकर मैं भी मुस्काई और सोचा जीऊँगी, 

प्यार -सम्मान मिलता रहेगा जबतक,


लेकिन तेल बाती का साथ न हो तो !

अगर मुझे भी प्यार और सम्मान,

ना मिला तो फिर कैसे बचेगा ,

तुम्हारा और मेरा असितत्व ,


दोनों ही मिट्टी के बने हैं,

एक दिन मिट्टी में ही मिल जाएंगे,

फिर से जन्म लेने के लिए,

ऐसी दुनिया में जहाँ जीने की वजह

हो बिना शर्त ।



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