जहरीला धमाका
जहरीला धमाका
सालों पहले दहला था सबका दिल, हुआ था जब जहरीला धमाका।
धरती, गगन, जन-जीवन सब रह गया वही का वही, जो जहां था।।
भोपाल के गैस फैक्ट्री से जब, निकला था जहर का गुबार।
धरती पर जन-जन और ऊपर से नील गगन, दोनों ने लगाई थी मदद की गुहार।।
गुबार का जहर हवा में मिलकर, पहुंचा था घर-घर बनकर कहर।
कोई भी ना बच पाया उससे, सदमे में था पूरा-का-पूरा शहर।।
फैक्ट्री की चिमनी बनी थी तोप, उड़ाई थी जिसने धुएं का गुलाल।
नील गगन कहीं हुआ था गेरूआ, तो कहीं हुआ था सांवला लाल।।
जहां तक पड़ रही थी निगाहें, धुआं ही धुआं था फैला।
धमाके ने बिछा दी लाशें, और ओढ़ाया नीलगगन को चादर मटमेला।।
जब ऐसे चित्र सामने आते है कभी, वह धमाका है याद आता।
जिन लोगों पर बिती थी उनसे आज भी, वह कहर भूलाए नहीं भूला जाता।।