यह कैसी आज़ादी ?
यह कैसी आज़ादी ?
आजाद हुआ है भारत, कैद है अभी भी जन जाति,
आजाद घूम रहे आवारे, कैद है अभी भी शहजादी,
आजाद है बेटियां, कैद है बहुऐं जैसे बिन वेतन की दासी,
आजाद बनाया था ईश्वर ने इंसान को, कैद कर लिया
खुद इंसान ने ही बनाकर अनेकों प्रजाति,
ऐ मेरे आजाद भारत! यह कैसी आज़ादी।?
घर की चारदीवारी में रखकर कहते हो, सारे जहां के सपने सजाओ,
पिंजरे में कैद करके कहते हो, बेटी तुम पंख फैलाओ,
बाहर घूमने की इजाजत नहीं, घर में ही फूलों की बहार बिछा दी,
सांस सांस पर जिसकी हैं पाबंदी, वह बस नाम की हैं शहजादी,
ऐ मेरे आजाद भारत! यह कैसी आज़ादी।?
बेटी को बेटी हो जाऐ तो, जो हुआ अच्छा हुआ,
बहू को बेटी हो जाऐ तो, मानो जैसे गुनाह हुआ,
बेटी के लिऐ हर बात का नेक, सारे तीज त्यौहार,
बहू के लिऐ क्या तीज-तयोहार, किस बात के उपहार,
बेटी भी किसी की बहू बनेगी,
तब भी छूट नहीं रहा भेदभाव यह जानते हुऐ भलिभांति।
ऐ मेरे आजाद भारत! यह कैसी आज़ादी।?
रिश्तों का लिहाज रखकर, गलत को ग़लत नहीं कह सकते,
बड़ों का मान रखकर, गलत को सही भी नहीं कर सकते,
हम रखें मर्यादा का मान, वो करें अपनी मनमानी,
सीधी मौत की ना सही, पर घुट-घुटकर जीने की यह कैसी सजा दी।
ऐ मेरे आजाद भारत! यह कैसी आज़ादी।?
तुम आगे होकर अपने फर्ज निभाओ,
पर कभी अधिकारों की मांग ना लाओ,
सब कुछ सही हैं तब तक, जब तक हमने उनकी हां में हां मिला दी।
ऐ मेरे आजाद भारत! यह कैसी आज़ादी।?
जिन्होंने अपनी जान लगाकर, तुम में जान डाल दी,
तुम्हारे जिन्दगी में खुशियां हो, इसलिऐ खुद की मेहनत करने में गवां दी,
लोग हुकुमतों से मांगते हैं, तुम्हें मां बाप से ही चाहिऐ आजादी।
ऐ मेरे आजाद भारत! यह कैसी आज़ादी।।?
अंग्रेजों से आजाद हुआ है, कहने को हैं फ्री इंडिया(#freeIndia)
आज भी मगर कोई ना कोई कर रहा, कभी अपनों की तो कभी दूसरों की गुलामियां,
आजाद हुआ है भारत, जाने कब मिलेगी समानता की आजादी,
ऐ मेरे आजाद भारत! यह कैसी आज़ादी।?