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Priyanka Jhawar

Abstract

4.0  

Priyanka Jhawar

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नारी मूर्ति नहीं इंसान हैं!

नारी मूर्ति नहीं इंसान हैं!

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नारी जीवनदायिनी, देती है जान।

नारी से होती है, घर-घर की पहचान।।


समझने वाले समझते हैं, मूर्ति को भी शक्ति।

नासमझो को क्या समझाओ, जो जिती-जागती नारी को ही समझते हैं मूर्ति।।


मंदिर की मूर्ति में बसी, काली को पूजो ना पूजो।

संसार में घूम रही हर नारी में, मां काली को जरूर ढूंढों।।


मंदिर की मूर्ति में बसी, दुर्गा को पूजो ना पूजो।

अपनी जीवनदायिनी मां में, मां दुर्गा को जरूर ढूंढों।।


मंदिर की मूर्ति में बसी, गौरी को पूजो ना पूजो।

अपनी जीवनसंगिनी में, मां गौरी को जरूर ढूंढों।।


मंदिर की मूर्ति में बसी, लक्ष्मी को पूजो ना पूजो।

घर में बैठी बहू बेटियों में, मां लक्ष्मी को जरूर ढूंढों।।


माता रानी हर नारी में हैं, ना कि सिर्फ मंदिर और मूर्ति में।

नारी के बिना ऐसा रिक्त स्थान है, जिसकी नहीं कर सकता कोई पूर्ति हैं।।


नारी को ना समझो मूर्ति, ना ही समझो इंसान।

सच तो यह हैं कि, हर नारी में बसी है मां अंबे रुपी भगवान।।


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